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DADI JI SMRUTI DIWAS 2018
आध्यात्मिक प्रकाश की मणि-दादी प्रकाशमणि को श्रद्धा सुमन अर्पित
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विष्व विद्यालय संस्था की द्वितीय मुख्य प्रषासिका दादी प्रकाशमणि जी का जन्म सन् 1922 में अविभाजित भारत के सिन्ध प्रांत के हैदराबाद शहर में हुआ। 14 वर्ष की अल्पायु में दादी जी ने अपना जीवन मानव कल्याण हेतु सन् 1936-37 में ओम मण्डली के नाम पर स्थापित संस्था को सम्पूर्ण रूप से समर्पित कर दिया। सन् 1950 तक संस्था गहन ध्यान साधना और स्वयं को गढ़ने में, 350 सदस्यों का यह संगठन कराची में ही रहा। संस्था द्वारा स्थापित बोर्डिंग स्कूल में दादी जी ने एक आदर्श शिक्षिका की भूमिका निभाई। सन् 1950 में संस्था का स्थानांतरण कराची से भारत में मांउण्ट आबू राजस्थान में हुआ। सन् 1956-61 तक मुम्बई के ब्रह्माकुमारीज् सेवाकेन्द्रों की दादी जी संचालिका बनी। सन् 1964 में महाराष्ट्र जोन की आप निदेशिका बनी। सन् 1965-1968 तक आपने गुजरात, कर्नाटक में भी अपनी सेवाओं का विस्तार किया। सन् 1969 में आपने संस्था के संस्थापक के अव्यक्त होने के बाद संस्था के द्वितीय मुख्य प्रशासिका की बागडोर सम्हाली। आपने भारत में आयोजित अनेकानेक धर्म सम्मेलनों में भाग लिया। सन् 1972 में दादी जी ने संस्था का प्रतिनिधित्व विदेश, जापान में धर्म सम्मेलन से प्रारम्भ किया। संस्था की शाखाओं का विस्तार आपके ही मार्ग दर्शन से 140 देशों में हुआ। सन् 1981 में संस्था को संयुक्त राष्ट्र संघ में गैर सरकारी संस्था के रूप में शामिल किया गया। सन् 1984 में दादी जी अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप सहित 13 देशों में गये तथा अनेक सम्मेलनों में आपने भाग लिया। इसी वर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा संस्था को पीस मेडल से सम्मानित किया। सन् 1987 में संस्था को संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा पीस मैसेन्जर अवार्ड प्रदान किया गया। सन् 1992 में दादी जी को मोहनलाल सुखड़िया विष्व विद्यालय उदयपुर द्वारा मानक डाक्टरेट की उपाधि से नवाजा गया। सन् 1993 में दादी जी के कार्य काल में युवा सद्भावना सायकल यात्रा के आयोजन भारत के आठ स्थानों से किया गया। सन् 2000 में 24 मुख्य शहरों से 24 ज्यार्तिंलिंगम रथ यात्रायें निकाली गईं। इस प्रकार कई अभियान जैसे कि मिलियन मिनिटस् आफ पीस, ग्लोबल कोआॅपरेशन फाॅर ए बेटर वल्र्ड, शांति और शुभभावना आदि चलाये गये। इंटरनेशनल ईयर फाॅर द कल्चर आॅफ पीस-मेनिफस्टो 2000 के अंतर्गत पूरे भारत में 3 करोड़ लोगों से फार्म भराये गये। आपके नेतृत्व में कई हेल्थ अवेयरनेय कम्पेन, एन्वायरमेन्ट अवेयरनेस कम्पेन, नषा मुक्ति अभियान के साथ अनेकानेक राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलनों का आयोजन किया गया। सन् 2001-2003 तक विश्व बन्धुत्व व सद्भावना को लेकर कई मेगा कार्यक्रम आयोजित किये गये। 25 अगस्त 2007 को दादी जी ने अव्यक्त वतन की राह ली। दादी जी के पुण्य स्मृति दिवस को विश्व बन्धुत्व दिवस के रूप में मनाया जाता है। महान तपस्विनी, कर्मठ, मृदु भाषी, स्नेह एवं शिक्षाओं का अतुलनीय संतुलन, दिव्य आभामण्डल के ओज से भरपूर, दूरदृष्टा तथा कुषल नेतृत्व ओरों को प्रदान करने वाली, ममता और करूणामयी दादी जी के 11 वीं पुण्य स्मृति दिवस पर श्रद्धा सुमन अर्पित।
दादी जी का तो सदा यही कहना था, सदा ही एकनामी अर्थात् एक परमात्मा के अंत में खो जाओ और जीवन में सदा ही एकाॅनामी से चलना है, अर्थात् व्यर्थ समय और संकल्पों के साथ स्थूल संसाधनों की भी बचत करनी है।
Jamnipali
SHRIMAD BHAGWAD GITA KATHA-BALGI

सात दिवसीय श्रीमद् भागवत गीता बल्गी में
बल्गीः12/12/2019-प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व-विद्यालय के तत्वाधान में सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत गीता का आयोजन दिनांक 11 दिसम्बर 2019 से 17 दिसम्बर तक दोपहर 3ः00 बजे से जे आर.सी. क्लब बल्गी के समीप किया गया है। कार्यक्रम का शुभारम्भ कलश यात्रा निकाल कर किया गया। ब्रह्माकुमारी तुलसी बहन ने कहा कि हर कर्म का फल उसकी परछाई के साथ, उससे जुड़ा हुआ है। इसलिये उससे प्राप्त होने वाले फल की आश नहीं रखनी चाहिए। जो जितना समर्पण भाव और भावना के साथ कर्म करता है, उसका फल उतनी ही प्रालब्ध के साथ जुड़ जाता है। राजयोग की शिक्षायें श्रेष्ठ कर्म करने तथा नर से नारायण बनने का मार्ग प्रशस्त करती हैं। नष्टोमोहा बनने के साथ साथ अपनी भावना वृहद और सर्व के कल्याण प्रति कर्म करना ही, श्रेष्ठ कर्म की श्रेणी में गिना जायेगा। इसलिये भगवान ने अर्जुन को कहा कि इस पवित्र ज्ञान का प्रतिदिन अध्ययन कर जो श्रद्धा से सुनेगा और सुनायेगा, तो सर्व पापों से मुक्त हो और स्वर्ग में श्रेष्ष्ठतम प्रालब्ध का अधिकारी बनेगा।
बल्गीः16/12/2019-प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व-विद्यालय के तत्वाधान में जे आर.सी. क्लब बल्गी के समीप आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत गीता में ब्रह्माकुमारी तुलसी बहन ने अपने उद्बोधन में कहा कि श्रीमद्भगवत गीता के अध्याय 6 ष्लोक 33-35 में अर्जुन बोले-हे मधुसूदन! जो यह योग आपने समभाव से कहा है, मन के चंचल होने से मैं इसकी नित्य स्थिति को नहीं देखता हूॅं। क्योंकि यह मन बड़ा चंचल प्रमथन स्वभाव वाला, बड़ा दृढ़़ और बलवान है। इसलिये उसको वश में करना मैं वायु को रोकने की भांति अत्यंत दुष्कर मानता हूॅं। श्री भगवन् बोले- हे महाबाहो! निःसन्देह मन चंचल और कठिनता से वष में होने वाला हैै। परन्तु हे कुन्तीपुत्र अर्जुन! यह अभ्यास और वैराग्य से वश में होता है।
आत्मा की शक्तियों का वर्णन करते हुए ब्रह्माकुमारी तुलसी बहन ने कहा कि आत्मा इन कर्म इन्द्रियों का राजा अर्थात् मालिक है। मन-बुद्धि-संस्कार आत्मा की सूक्ष्म महामंत्री हैं। स्वराज्य अधिकारी बनने का विशेष साधन हैं मन और बुद्धि हैं। मन बुद्धि को आर्डर प्रमाण विधि पूर्वक कार्य में लगाने वाले ही निरन्तर योगी हैं। मन्त्र ही मन्मनाभव का है। योग को बुद्धियोग कहते हैं। स्वयं आत्म-निरीक्षण करो कि ये विषेश आधार स्तम्भ, स्वयं के अधिकार में हैं अर्थात्् आर्डर प्रमाण विधि-पूर्वक कार्य करते हैं। आप जो संकल्प जब करना चाहो, वैसा संकल्प कर सको। जहाॅं बुद्धि को लगाना चाहो वहां लगा सको। बुद्धि आप राजा को भटकाये नहीं। विधिपूर्वक कार्य करें तब कहेंगें, निरन्तर योगी। मन-बुद्धि सदा व्यर्थ सोचने से मुक्त हो। मन्मनाभव के मन्त्र का सहज स्वरूप हो। मन्सा शुभ भावना, श्रेष्ठ कामना, श्रेष्ठ वृत्ति और श्रेश्ठ वायब्रेषन से सम्पन्न हो। सहज राजयोग का आधार ही है। स्वच्छ मन और क्लीन और क्लीयर बुद्धि। मन में सदा हर आत्मा के प्रति शुभ-भावना और शुभ कामना हो- यह है स्वच्छ मन। अपकारी पर भी उपकार की वृत्ति रखना- यह है स्वच्छ मन। मन में व्यर्थ व निगेटिव के छोटे व बड़े दाग न हो। संस्कार इजी और मिलनसार हो। संसार सागर की विभिन्न वातावरण की लहरों को देख आपका मन विचलित न हो क्योंकि भावी अटल है और समय परिवर्तनशील है। जहां मैं पन आता हैं तो उसे प्रभु प्रसाद समझकर अर्पण कर दो तो अहंकार की उत्पत्ति नहीं होगी। कर्मातीत स्थिति का भाव है मुर्दा स्थिति अर्थात् मान, शान, निन्दा, स्तुति व सर्व आकर्षण से परे लगाव मुक्त, निर्लेप स्थिति। संसाधनों का उपयोग अवश्य करें लेकिन हमारी साधना व कर्मयोग की स्थिति हो। ऐसे बेहद के वैरागी ही सच्चे राजऋषि हैं।
ब्रह्माकुमारी तुलसी बहन का स्वागत भ्राता अरविन्द पाटनवार, अयोध्या लहरे, रामराज, बहन संगीता, बहन पार्वती ने पुष्प गुच्छ से किया। बहन पार्वती, नेहा, कंचन, ब्रह्माकुमारी रीतांजलि भ्राता लक्ष्मीनारायण, गौतम, शांति, ने गीत और भजन की प्रस्तुति। कु.साची, कु.माही ने स्वागत नृत्य की प्रस्तुति की।
Korba
ENERGY CONSERVATION DAY

उर्जा संरक्षण कार्यशाला एवं रैली का आयोजन
कोरबाः14.12.2019-विश्व सद्भावना भवन कोरबा से उर्जा संरक्षण जन जागृति रैली निकाली गई। अभियान रैली शा. हाई स्कूल रूमगराा पंहुचने पर विद्यालय में कार्यशाला का आयोजन किया गया। डाॅ. के.सी. देबनाथ ने कहा कि आज युवाओं को जाग्रत होने की आवश्यकता है। आज हम यदि ठण्डे पानी से नहाते हैं तो अधिक स्फूर्ति का अनुभव करते हैं। आपने कहा कि जहां 9 वाॅट के एल.ई.डी से काम चल जाता है वहां 40 वाॅट की ट्यूब लाईट लगाने की क्या आवश्यकता है। साइकिल चलाने से शरीर की आंतरिक उर्जा बढ़ती है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है। साइकिल चलाने से वी.पी. और शुगर पर भी नियंत्रण प्राप्त होता है। बहन उशा नेताम प्राचार्या ने कहा कि प्रकृति से साथ रहना सीखें। शारीरिक व्यायाम से शरीर तो स्वस्थ होता ही लेकिन इसका प्रभाव मन पर भी पड़़ता है। हमें अपने उत्तरदायित्वों के प्रति सचेत रहना है। बिजली पानी की बचत करना है। ब्रह्माकुमारी आशा बहन ने कहा कि प्रकृति के तत्व जल, वायु, अग्नि आदि को देव की श्रेणी में गिना जाता। यदि प्रकृति के पांचों तत्वों को अपने सकारात्मक मन के प्रकम्पन और सम्मान की भावना देगें तो वे आपके सहयोगी बन जायेगें। ब्रह्माकुमारी मेघा ने का कि संकल्पों की उर्जा को पहचानों और उसे सही दिशा देने का प्रयास करो। जैसा हमारे विचार चलते हैं वैसा ही हम अपने जीवन का निर्माण करते हैं। आत्म संयम नियम ही जीवन की शोभा है। बहन विलक्षणा शर्मा व्याख्याता ने कहा कि उर्जा की बचत करने के लिये साधन और संसाधनों का उतना ही उपयोग करें जितना आवष्यक हैं। ब्रह्माकुमारी जितेश्वरी बहन ने राजयोग के अभ्यास से मनोबल को बढ़ाने का अभ्यास कराया। भ्राता उदयनाथ साहू व्याख्याता ने मंच का संचालन किया तथा कु. मोरवा लकडा 9वीे ने गीत की प्रस्तुति दी। ब्रह्माकुमार सहस, रोहित, देवेन्द्र ने भी अपने विचार व्यक्त किर्ये।
Korba
WORLD ROAD ACCIDENTS REMEBRANCE DAY

विश्व यादगार दिवस-सड़क दुर्गटना पीड़ितों की
स्मृति में कार्यक्रम सम्पन्न
कोरबाः22.11.2019-प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के विष्व सद्भावना भवन टी.पी. नगर कोरबा में विश्व यादगार दिवस-सड़क दुर्घटना पीड़ितों की स्मृति में कार्यक्रम सड़क दुर्घटना में जीवन गंवाने वालों के लिये आत्मिक षांति तथा षोक संतप्त परिवारों को मानसिक संबल देने के लिये आयोजित किया गया। इस अवसर पर भ्राता डाॅ. के.सी. देवनाथ ने कहा कि बीमारी व नषे की हालत में वाहन नहीं चलाना चाहिये। आपने कहा कि रोड का अच्छा होना तथा वाहनों में खराबी न होना भी दुर्घटनाओं में कमी लाता है। भ्राता जी. साहू कार्यपालन अभियंता सी.एस.पी.जी.सी.एल कोरबा ने कहा कि वाहन चलाते समय यातायात नियमों पर ध्यान देना आश्यक है। इसके साथ बहुत आवश्यक हो तो वाहन को किनारे रोक कर मोबाईल पर बात करना चाहिए। ब्रह्माकुमारी पूजा बहन ने कहा कि वैसे तो आत्मा अजर अमर अविनाशी है जो कि षरीर रूपी कपड़े धारण करती है। लेकिन अचानक इसका दुर्घटना ग्रस्त होना बड़ा ही दर्दनाक होता है। ऐसी आत्माओं को शांति प्रदान करने तथा उनके परिवारों को संबल व शक्ति प्रदान करने के लिये हम सभी ईश्वर से प्रार्थना करेगें। भ्राता शेखरराम ने मंच का संचालन किया
ब्रह्माकुमारीज पाठशाला कटघोरा परिसर में आयोजित कार्यक्रम में भ्राता एफ.एल. रात्रे उच्च वर्ग शिक्षक पूर्व मा.शा. कटघोरा ने कहा कि आज का यह कार्यक्रम बहुत ही महत्वपूर्ण है कि हम उन आत्माओं को शांति का दान देकर ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वे भटकने से बच जायें और उनको फिर से जन्म मिलने में सहायक हो। भ्राता दीपक गर्ग शिक्षक पूर्व मा. शा. नगोई बछेरा ने कहा कि यह संसार एक आवागमन की स्टेज है, मृत्यु तो कुछ कारण से ही होती है लेकिन जब किसी की आकस्मिक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है तो वह बड़ी ही असहनीय और दर्दनाक होती है। आज इस श्रद्धांजली कार्यक्रम में हम सभी मिलकर उन सभी आत्माओं के लिये षांति के प्रकम्पन देगें। ब्रह्माकुमारी सैजल बहन ने कहा कि मन का शंात और संतुलित होना आवष्यक है। कहीं भी बाहर यात्रा पर निकलने के पहले अपने ईष्ट का स्मरण करके निकले तो अच्छा होगा, जिससे मन को शक्ति मिल जायेगी।